डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर लेख

 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद: भारत के पहले राष्ट्रपति

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। बचपन से ही उनकी बुद्धिमानी और अध्ययनशीलता की चर्चा होती थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद पटना कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वकालत की डिग्री हासिल की।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था। 1917 में महात्मा गांधी के साथ चंपारण सत्याग्रह में भाग लेकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और 1934 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गए।

संविधान सभा और राष्ट्रपति पदडॉ. राजेन्द्र प्रसाद: भारत के पहले राष्ट्रपति


डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। बचपन से ही उनकी बुद्धिमानी और अध्ययनशीलता की चर्चा होती थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद पटना कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वकालत की डिग्री हासिल की।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था। 1917 में महात्मा गांधी के साथ चंपारण सत्याग्रह में भाग लेकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और 1934 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गए।

संविधान सभा और राष्ट्रपति पद
भारत की स्वतंत्रता के बाद, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया, जहां उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। वे दो बार राष्ट्रपति बने और 1962 तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।

व्यक्तित्व और योगदान
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का व्यक्तित्व अत्यंत सरल, विनम्र और ईमानदार था। वे हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे और अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं, जिनमें "आत्मकथा" और "इंडिया डिवाइडेड" प्रमुख हैं।

निधन
28 फरवरी 1963 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का निधन हो गया। उनके योगदान और सेवा को सदैव याद किया जाता है और वे भारत के इतिहास में एक महान नेता के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन देशभक्ति, सेवा और निष्ठा का आदर्श उदाहरण है। उनकी शिक्षा, नेतृत्व और संघर्षशीलता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई। उनकी स्मृति हमेशा भारतीय जनमानस में जीवित रहेगी।










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भारत की स्वतंत्रता के बाद, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया, जहां उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। वे दो बार राष्ट्रपति बने और 1962 तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।

व्यक्तित्व और योगदान

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का व्यक्तित्व अत्यंत सरल, विनम्र और ईमानदार था। वे हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे और अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं, जिनमें "आत्मकथा" और "इंडिया डिवाइडेड" प्रमुख हैं।

निधन

28 फरवरी 1963 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का निधन हो गया। उनके योगदान और सेवा को सदैव याद किया जाता है और वे भारत के इतिहास में एक महान नेता के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन देशभक्ति, सेवा और निष्ठा का आदर्श उदाहरण है। उनकी शिक्षा, नेतृत्व और संघर्षशीलता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई। उनकी स्मृति हमेशा भारतीय जनमानस में जीवित रहेगी

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